नमस्कारी- पत्रों के नमस्कार करने के समान सिकुड़ने से
शमीपत्रा- शमी सदृश पत्र होने से
खविरका- खदिर सदृश पत्र होने से
रक्तपादी- जड़ के लाल होने से
सभंगा- जमीन पर फैलने के कारण
Habit
इसका कांटेदार और प्रसरणशील क्षुप 1 मी. तक ऊँचा होता है।
Habitat
यह समस्त भारत के उष्ण क्षेत्रों में पाया जाता है।
Morphology
इसका कांटेदार और प्रसरणशील क्षुप 1 मी. तक ऊँचा होता है।
पत्र पाणिवत् निकले हुए, 2-4 पक्षयुक्त, पत्रक 1.25 से. मी. तक लम्बे, रेखाकार, खदिर या इमली की पत्तियों के समान, 10-20 जोड़े होते हैं। स्पर्श से पत्तियां संकुचित हो जाती हैं।
पुष्प मुण्डक के रूप में, गोलाकार, गुलाबी रंग के तथा छोटे होते हैं।
फली 0.75 से. मी. तक लम्बी व सूक्ष्म कॉटों से युक्त होती है।
बीज 35 होते हैं। पुष्मागम नवम्बर से मार्च तक एवं फलागम जनवरी से नई तक होता है।