चरक- कण्ठ्य, जीवनीय, वर्ण्य, सन्धानीय, कण्डूघ्न, मूत्रविरेचनीय,शोणितस्थापन, छर्दिनिग्रहण, स्नेहोपग, वमनोपग, आस्थपनोपग सुश्रुत- काकोल्यादि, सारिवादि, अंजनादि भावप्रकाश-
यष्टीमधु - मधुर काण्ड और मूल वाला मधुक - मधुर रसात्मक क्लीतक - बाहरी देशों से आयात किया जाता है
क्षुप
Egypt, Arab countries, Turkey, Iran, Afghanistan India – Jammu-Kashmir, Dehradun
Glycyrrhizin, Isoliquirtin & Liquirtin
Rasa- मधुर Guna- गुरू, स्निग्ध Virya- शीत Vipaka- मधुर Karma- छेदन, मेध्य, कण्ठ्य Doshakarma- वातपित्तशामक, चक्षुष्य, रसायन, वृष्य
दौर्बल्य क्लैब्य खालित्य पालित्य तृष्णा दाह
मूल
मूल चूर्ण- 3 to 6 g
सप्तामृत लोह यष्टीमधु घृत
मुलेठी
Liquorice
Glycyrrhiza glabra Linn. (ग्लिसिराइजा ग्लैब्रा)
Leguminosae (लेग्युमिनोसी)