HERBAL GARDEN
Vivek college of Ayurvedic Sciences & Hospital Bijnor UP
मञ्जिष्ठा




Classification
चरक- ज्वरहर
सुश्रुत- प्रियंग्वादि,पित्तसंशमन
भावप्रकाश-
Synoyms
योजनवल्ली- एक योजन (4 कोस- रा.नि.) तक फैलने से
विकसा- दूर तक प्रसरणशील होने या रोगनाशक होने से
रक्तत्यष्टिका- काण्ड व मूल रक्ताभ होने से
समङ्गा- चारों ओर इसके अंगों के फैलने से
Habit
यह आरोहिणी लता है।
Habitat
यह भारत के समस्त पार्वत्य प्रदेशों व नेपाल में 2500 मी. की ऊँचाई तक उत्पन्न होता है।
Morphology
- यह आरोहिणी लताहै। अनेक शाखा प्रशाखायुक्त, आरोहिणी व बहुत विस्तार में दूर-दूर तक फैलने वाली होती है।
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कान्ड कई मीटर लम्बा चतुष्कोणीय, रक्ताभ, खुरदुरा व मूल की ओर कठोर होता है।
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काण्डत्वक ऊपर सफेद किन्तु भीतर लाल होता है।
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पत्र 3-10 से.मी. लम्बे, लट्वाकार, हृदयाकृति या ताम्बूलाकार, नुकीले, खरस्पर्श या चिकने, प्रत्येक ग्रन्थि पर चार-चार के चक्रों में, जिसमें से दो बड़े होते हैं।
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पत्रनाल 5-10 से.मी. बड़ा होता है।
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पुष्प छोटे, क्षेताभ व गुच्छों में रहते हैं।
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फल कृष्ण या बैंगनी वर्ण के गोलाकार, चने के बराबर व दो बीजों से युक्त होते हैं।
- मूल गहराई तक जाते हैं, पुष्यागमन शरद में तत्पश्चात् फल लगते हैं।
Chemical Composition
इसमें मूल में Manjisthin, Purpurin, Xanthopurpurin, Pseudopurpurin, Rubifolic acid, Rubianin, Ruberythric acid, Rubiatriol, Rubiadin, Alizarin आदि तत्त्व पाये जाते हैं।
Guna-Karma
Rasa- तिक्त, कषाय, मधुर
Guna- गुरु, रुक्ष
Virya- उष्ण
Vipaka- कटु
Karma- रक्तप्रसादन, वर्ण्य, विषघ्न
Doshakarma- कफपित्तशामक
Medicinal uses
रक्तविकार
कृमि
प्रमेह
कुष्ठ
अग्निमान्य
आमदोष
अतिसार
ज्वर
वर्णविकार
दौर्बल्य
विषरोग
रजोरोध
मस्तिष्करोग
Useful Part
मूल
Doses
मूलचूर्ण (1-3 gm)
क्वाथ 50-100 मि.ली
Important Formulation
महामांजिष्ठादिक्वाथ
मंजिष्ठादिलेप
पिण्डतैल
Shloka
मञ्जिष्ठा मधुरा तिक्ता कषाया स्वरवर्णकृत् ।
गुरूष्ण विषश्लेष्मशोथ योन्यक्षिकर्णरुक् ।।
रक्तातीसारकुष्ठास्त्रवीसर्पव्रणमेहनुत् ।। (भा.प्र.नि. हरीतक्यादि वर्ग 190-91)
मञ्जिष्ठामधुरास्वादेकषायोष्णागुरुस्तया।
व्रणमेहज्वरश्लेष्म-विषनेत्रामयापहा।।
(रा.नि. पिप्पल्यादिवर्ग 194)
Hindi Name
मंजीठ
English Name
Madder root
Botanical Name
Rubia cordifolia Linn.
Family
Rubiaceae