चरक- संज्ञास्थापन, लेखनीय, अर्शोघ्न, तृप्तिघ्न, आस्थापनोपग, शीतप्रशमन, विरेचन, शिरोविरेचन, तिक्तस्कन्ध. सुश्रुत- उर्ध्वभागहर, पिप्पल्यादि, वचादि, मुस्तादि भावप्रकाश-
उग्रगन्धा - तीक्ष्ण गन्धयुक्त षड्ग्रन्था – 5-6 ग्रन्थि/पर्व वाली भौमिक काण्ड गोलोमी - गाय के समान रोमयुक्त मूल वचा - वचनशक्ति वर्धक - स्पष्ट वाणी
बहुवर्षायु क्षुप up to 1-2 ft high.
जलासन्न भूमि | मैसूर में प्रचूर खेती |
भौमिक काण्ड - अदरख के समान फैलनेवाली, ५-६ पर्ववाले, मध्यम अंगुली के समान स्थूल.
Volatile oil – Asaryl aldehyde α–asarone & β-asarone
Rasa- कटु, तिक्त Guna- लघु, तीक्ष्ण Virya- उष्ण Vipaka- कटु Karma- संज्ञास्थापन, वचनशक्तिवर्धक, वमन Doshakarma- कफ वात शामक
उन्माद अपस्मार स्थौल्य मूर्छा कृमि उदरशूल
मूल
125 to 500mg वमनार्थ – 1 to 2 g
वचाब्राह्मी योग स्मृतिसागर रस सारस्वत चूर्ण सारस्वतारिष्ट
वच
Sweet flag
Acorus calamus Linn.
Araceae